शिवलिंग को स्थापित करने की विधि और इस प्रकार की पूजा करने से होगी मानो कामनाएं पूर्ण

शिवलिंग की स्थापना और पूजन-विधि का वर्णन    पूछा-सूत जी! शिवलिंग की स्थापना कैसे करनी चाहिए तथा उसकी पूजा कैसे, किस काल में तथा किस द्रव्य द्वारा करनी चाहिए पंडित मिश्रा जी ने कहा-महर्षियो। मैं तुम लोगों के लिए इस विषय का वर्णन करता हूं, इसे ध्यान से सुनो और समझो। अनुकूल एवं शुभ समय … Read more

21 फीट की शिवप्रतिमा का अन्ना वर्ण किया गया जानिए इसके बारे मे क्या हे राज

तेलंगाना के जिले आदिलाबाद के सालेवाड़ा के ग्राम पंचायत में किया गया   निर्देशांके सालेवडा के स्थिति श्री शिवलिंग स्थापित सालेवाडा के तेलंगाना अभिकल्पना …………. प्रकार  प्रतिमा सामग्री समस्ता सालेवाडा ग्राम पंचायत ऊँचाई 21 फीट निर्माण पूर्ण 26 फरवरी 2025 समर्पित शिव मंदिर(शिवलिंग)   प्रकृति के कण-कण में बसने वाले शिव की महिमा, उनके विराट स्वरूप … Read more

चंचूला की रहस्य मय प्रेम कहानी श्री पंडीत मिश्रा जी के द्वार किया गया वर्णन

देवराज को शिवलोक की प्राप्ति चंचुला का संसार से वैराग्य श्री शौनक जी ने कहा- आप धन्य हैं। सूत जी! आप परमार्थ तत्व के ज्ञाता हैं। आपने हमसे अनुरोध किया कि यह अद्भुत और दिव्य कथा बताई गई है। भूतल पर इस कथा के समान कल्याण का और कोई साधन नहीं है। आपकी कृपा से … Read more

शिव महा पुराण का पहला अध्याय श्री पंडित मिश्रा जी

श्री शौनक जी ने पूछा – महाज्ञानी सूत जी, आप संपूर्ण सिद्धांतों के ज्ञाता हैं। कृपया मुझसे पुराणों के सार का वर्णन करें। ज्ञान और वैराग्य सहित भक्ति से प्राप्त विवेक की वृद्धि कैसे होती है? तथा साधु पुरुष कैसे अपने काम, क्रोध आदि विकारों का निवारण करते हैं? इस कलियुग में सभी जीव असुरी स्वभाव के हो गए हैं। अतः कृपा करके मुझे ऐसा साधन बताइए, जो कल्याणकारी एवं मंगलकारी हो तथा पवित्रता लिए हो।

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प्रभु, वह ऐसा साधन हो, जिससे मनुष्य की शुद्धि हो जाए और उस निर्मल हृदय वाले पुरुष को सदैव के लिए ‘शिव’ की प्राप्ति हो जाए।
श्री सूत जी ने उत्तर दिया – शौनक जी आप धन्य हैं, क्योंकि आपके मन में पुराण-कथा को सुनने के लिए अपार प्रेम व लालसा है। इसलिए मैं तुम्हें परम उत्तम शास्त्र की कथा सुनाता हूं । वत्स ! संपूर्ण सिद्धांत से संपन्न भक्ति को बढ़ाने वाला तथा शिवजी को संतुष्ट करने वाला अमृत के समान दिव्य शास्त्र है— ‘शिव पुराण’। इसका पूर्व काल में शिवजी ने ही प्रवचन किया था। गुरुदेव व्यास ने सनत्कुमार मुनि का उपदेश पाकर आदरपूर्वक इस पुराण की रचना की है। यह पुराण कलियुग में मनुष्यों के हित

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‘शिव पुराण’ परम उत्तम शास्त्र है। इस पृथ्वी लोक में सभी मनुष्यों को भगवान शिव के विशाल स्वरूप को समझना चाहिए। इसे पढ़ना एवं सुनना सर्व साधन है। यह मनोवांछित फलों को देने वाला है। इससे मनुष्य निष्पाप हो जाता है तथा इस लोक में सभी सुखों का उपभोग करके अंत में शिव लोक को प्राप्त करता है।
‘शिव पुराण’ में चौबीस हजार श्लोक हैं, जिसमें सात संहिताएं हैं। शिव पुराण परब्रह्म परमात्मा के समान गति प्रदान करने वाला है। मनुष्य को पूरी भक्ति एवं संयमपूर्वक इसे सुनना चाहिए। जो मनुष्य प्रेमपूर्वक नित्य इसको बांचता है या इसका पाठ करता है, वह निःसंदेह पुण्यात्मा है।
भगवान शिव उस विद्वान पुरुष पर प्रसन्न होकर उसे अपना धाम प्रदान करते हैं। प्रतिदिन आदरपूर्वक शिव पुराण का पूजन करने वाले मनुष्य संसार में संपूर्ण भोगों को भोगकर भगवान शिव के पद को प्राप्त करते हैं। वे सदा सुखी रहते हैं।

शिव पुराण में भगवान शिव का सर्वस्व है। इस लोक और परलोक में सुख की प्राप्ति के लिए आदरपूर्वक इसका सेवन करना चाहिए। यह निर्मल शिव पुराण धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूप चारों पुरुषार्थों को देने वाला है। अतः सदा प्रेम पूर्वक इसे सुनना एवं पढ़ना चाहिए।

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