देवराज दास की कथा श्री पंडित मिश्रा जी द्वारा बताए है
Pandit Pradeep Ji Mishra Sehore Wale, Youtube
देवराज जी ने कहा कि नेहरू उवाच- भवान् धन्यः। श्री सूत ! त्वं परमात्मनः विदितः। त्वम्
भवान् अस्मान् प्रति दयालुः अभवत्, अस्मान् एतां अद्भुतां अद्भुतां च कथां कथितवान् । भूतलस्य उपरि एतादृशी कथा
अन्यत् कल्याणसाधनं नास्ति। तव प्रसादेन वयं एतत् अवगच्छामः।
श्री सूत ! अस्याः कथायाः माध्यमेन के पापिनः शुद्धाः भवन्ति ? इति प्रसादपूर्वकं कथयित्वा
जगत् कृतज्ञतां कुरुत।
सुत जी उवाच – हे मुने, पाप-दुष्टाचार-काम-क्रोध-अभिमान-लोभेषु निरन्तर-विमग्नः व्यक्तिः
दुष्टात्मना पीडिताः अपि ते अपि शिवपुराणं पठितुं श्रवणं वा आरभ्य पापात् मुक्ताः भवन्ति।
सम्पूर्णतया नष्टं भवति। अस्मिन् विषये कथां कथयामि।
श्री शौनक जी ने कहा- आप धन्य हैं। सूत जी! आप परमार्थ तत्व के ज्ञाता हैं। आपने हम पर कृपा करके हमें यह अद्भुत और दिव्य कथा सुनाई है। भूतल पर इस कथा के समान कल्याण का और कोई साधन नहीं है। आपकी कृपा से यह बात हमने समझ ली है।
सूत जी! इस कथा के द्वारा कौन से पापी शुद्ध होते हैं? उन्हें कृपापूर्वक बताकर इस जगत को कृतार्थ कीजिए।
सूत जी बोले-मुने, जो मनुष्य पाप, दुराचार तथा काम-क्रोध, मद, लोभ में निरंतर डूबे रहते हैं, वे भी शिव पुराण पढ़ने अथवा सुनने से शुद्ध हो जाते हैं तथा उनके पापों का पूर्णतया नाश हो जाता है। इस विषय में मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूं।
देवराज ब्राह्मण की कथा
बहुत पहले की बात है-किरातों के नगर में देवराज नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह ज्ञान में दुर्बल, गरीब, रस बेचने वाला तथा वैदिक धर्म से विमुख था। वह स्नान-संध्या नहीं करता था तथा उसमें वैश्य-वृत्ति बढ़ती ही जा रही थी। वह भक्तों को ठगता था। उसने अनेक मनुष्यों को मारकर उन सबका धन हड़प लिया था। उस पापी ने थोड़ा-सा भी धन धर्म के काम में नहीं लगाया था। वह वेश्यागामी तथा आचार-भ्रष्ट था।
एक दिन वह घूमता हुआ दैवयोग से प्रतिष्ठानपुर (झूसी-प्रयाग) जा पहुंचा। वहां उसने एक शिवालय देखा, जहां बहुत से साधु-महात्मा एकत्र हुए थे। देवराज वहीं ठहर गया। वहां रात में उसे ज्वर आ गया और उसे बड़ी पीड़ा होने लगी। वहीं पर एक ब्राह्मण देवता शिव पुराण की कथा सुना रहे थे। ज्वर में पड़ा देवराज भी ब्राह्मण के मुख से शिवकथा को निरंतर सुनता रहता था। एक मास बाद देवराज ज्वर से पीड़ित अवस्था में चल बसा। यमराज के दूत उसे बांधकर यमपुरी ले गए। तभी वहां शिवलोक से भगवान शिव के पार्षदगण आ गए। वे कर्पूर के समान उज्ज्वल थे। उनके हाथ में त्रिशूल, संपूर्ण शरीर पर भस्म और गले में रुद्राक्ष की माला उनके शरीर की शोभा बढ़ा रही थी। उन्होंने यमराज के दूतों को मार-पीटकर देवराज को यमदूतों के के चंगुल से छुड़ा लिया और वे उसे अपने अद्भुत विमान में बिठाकर जब कैलाश पर्वत पर ले जाने लगे तो यमपुरी में कोलाहल मच गया, जिसे सुनकर यमराज अपने भवन से बाहर आए। साक्षात रुद्रों के समान प्रतीत होने वाले इन दूतों का धर्मराज ने विधिपूर्वक पूजन कर ज्ञान दृष्टि से सारा मामला जान लिया। उन्होंने भय के कारण भगवान शिव के दूतों से कोई बात नहीं पूछी। तत्पश्चात शिवदूत देवराज को लेकर कैलाश चले गए
और वहां पहुंचकर उन्होंने ब्राह्मण को करुणावतार भगवान शिव के हाथों में सौंप दिया।
शौनक जी ने कहा-महाभाग सूत जी! आप सर्वज्ञ हैं। आपके कृपाप्रसाद से मैं कृतार्थ हुआ। इस इतिहास को सुनकर मेरा मन आनंदित हो गया है। अतः भगवान शिव में प्रेम बढ़ाने वाली दूसरी कथा भी कहिए।
Samsung Galaxy S24 VS Nothing Phone 2⚡ का नया डिज़ाइन में आय कम पैसे में…
2025 यामाहा RX 100 के लिए नया 125cc इंजिन में कुबिय है जो एक नया…
Vivo ने हमेशा स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले स्मार्टफोन…
राजदूत 350cc इंजन के साथ कई खूबियां लॉन्च किया आज में आपको राजदूत 350cc बाइक…
VIVO T4x का नया डिजाइन जिसमे होगा 50mp का camera और 6500mha की बैट्री होगी…
Tecno MWC 2025 में दुनिया का सबसे पतला स्मार्टफोन दिखाता है जो की एक नया…
This website uses cookies.